Friday, November 26, 2010

मेट्रो इज नोट अ बेंच ऑफ यौर मेर्सदिस वेन.

मेट्रो आनंद विहार से शुरु होने
वाली है . साथ ही सर्दियों की शुरुवात भी हो चुकी है,

शुरुवात इसीलिए लिख रहा हूँ ,
क्यूँकि ऊनी कपड़ो पर से सिलावाटे अभी हटी,
नहीं है।

क्यूँकि आज सुबह जिस लड़की पर मेरी नजर,
गई उसके ऊनी स्वाटर पर सिलवटो का सावन था।

लड़की अच्छे थी और स्वेटर ख़राब लग रहा था।
इसी बीच एक हलके से ढ्क्के के साथ मेट्रो चल पड़ी,

सभी एक दुसरे के लिए अंजन थे। में भी अजनबी था।
इतने लोग वो भी मोन... शांति में मुझे अच्छा लगता है ,
मेट्रो रुकी और दरवाजा खुला...भीड़ बढने लगी। शोर की शुरुवात होने लगी। फिर एक सम्वोदन हुआ लोग थोडा हिले और दरवाजा बंद होने लगा। एक हलके से धक्के के साथ मेट्रो आगे बढने लगी।लक्ष्मी नगर स्टैंड आने से पहले मेट्रो की स्पीड धीरे हुई । संबोधन हुआ लोग हिले डुले मेट्रो का दरवाजा खुला लोगो की खचा -खच भीड़ मेट्रो के अन्दर भरने लगी।
इसकी बीच एक आदमी का गलती से दूसरे आदमी के पैर पर पैर रख जाता है ।
(पहला आदमी) भड़क कर बोलता है जरा देख कर चलिए ।
(दूसरा आदमी) साहब बिहारी थे ॥
मेट्रो इज नाट चेयर ऑफ यौर ऑन मेर्सदिस वेन.. मेट्रो इस नाट यार आन प्रापर्टी दिस इज पब्लिक ट्रांसपोर्ट... समझे की नही । दूसरा आदमी ये डायलाग चस्पा करते हुए अपनी जुवान खोलता है। सबकी नजर उन दोनों पर पड़ती है। यूँ की बात आगे बड़े लोग मामला को शांत करवा देते है और धेर्य रखने को बोलते है ।
लेकिन मेट्रो में आज किसी ने 26 11 का जिक्र ही नही छेड़ा। बात मेर्सदिस वेन तक तो गई । लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान ही नही दिया की 26 11 में मारे गए लोगो को मारने वाला जिन्दा है । न सरकार ने कुछ बयां दिया और न मिडिया आज तक सरकार पर कोई दवाव बना पी है कसब को लेकर .. । सभी मोन थे ठीक उस मोमबत्ती की तरह जिसे दुःख और सुख दोनों में ही जलाते है लेकिन मोमबत्ती को खुद यह आभाष नही होता की उसे जलाया क्यूँ ? चलिए मान लिया वो निर्जीव है लेकिन आप तो नही. इग्नू कैम्पस में बच्चो ने कैंडल लाइट मार्च करके उन लोगो को याद किया जो आज हमारे बीच मौजूद नही है । कार्यक्रम के मुख्या कार्यकर्ता को कहीं जाना था इसलिए कैंडल लाइट मार्च दोपहर 3 बजे शुरु हो गया किसी ने इस शहादत के लिया 5 बजने का भी इंतजार नही किया .. ना जाने इन्हें कौन सी मेर्सदिस वेन की सीट मिलने वाली है .....

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