बेवजह की रंजिशे, सबसे लड़ाई किसलिए ,
ये सभी जदोजहद, सारी बुराई किसलिए ,?
खुद को फुर्सत तक नहीं मिलती कभी उपभोग की,
हाय-तौबा इस कदर, काली कमाई किसलिए.?
मौत से ज्यादा अगर बत्तर हो जाये जिन्दगी,
क्यूँ दुआए, प्रार्थनाये या दवाई किसलिए ?
इस सुबह मैं भी धुंधलके ही धुंधलके है अगर,
ये सुबह आखिर हमारी ओर आयी किसलिए .?
कुछ तो सूरत बोलती है और कुछ करतूत भी ,
आदमी की खुद के बारे मैं सफाई किस लिए ?
आपकी आँखों मैं होने चाहिए सुबह के रंग,
आपकी आँखों मैं संध्या की ललाई किसलिए?
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4 years ago
आज 09/10/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
ReplyDeleteबेहतरीन गज़ल
ReplyDeleteकृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .