Saturday, January 29, 2011

ये सभी जदोजहद, सारी बुराई किसलिए

बेवजह की रंजिशे, सबसे लड़ाई किसलिए ,
ये सभी जदोजहद, सारी बुराई किसलिए ,?

खुद को फुर्सत तक नहीं मिलती कभी उपभोग की,
हाय-तौबा इस कदर, काली कमाई किसलिए.?

मौत से ज्यादा अगर बत्तर हो जाये जिन्दगी,
क्यूँ दुआए, प्रार्थनाये या दवाई किसलिए ?

इस सुबह मैं भी धुंधलके ही धुंधलके है अगर,
ये सुबह आखिर हमारी ओर आयी किसलिए .?

कुछ तो सूरत बोलती है और कुछ करतूत भी ,
आदमी की खुद के बारे मैं सफाई किस लिए ?

आपकी आँखों मैं होने चाहिए सुबह के रंग,
आपकी आँखों मैं संध्या की ललाई किसलिए?

2 comments:

  1. आज 09/10/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

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  2. बेहतरीन गज़ल

    कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...

    वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
    डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .

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