एक पत्थर पिघलतें देखा है
उसको नजरें बदलते देखा है,
एक दिन एक रोशनी करेंगे हम
हमने सूरज निकलते देखा है,
जिन्दगी, जिन्दगी नहीं लगती
हमने रिश्तो को जलते देखा है,
आप नाहक गुरूर करतें हैं
अच्छे-अच्छों को ढलते देखा है
लोग कहते हैं किसी को हमने,
गिरते-गिरते सम्भलते देखा हैं
MENTAL GARBEJ
1 year ago
No comments:
Post a Comment