क्यों लड़ते हो इस कदर ?
क्यों झगड़ते हो इस कदर ?
दिल में प्यार भी बहुत है
फिर क्यों नफरत करते
हो इस कदर?
छोटी-छोटी बातें ही तो हैं
फिर क्यों नाराज, होते हो
इस कदर?
चाय के प्याले को ,
तुमहारा इंतजार है
शायद वो उदास है,
क्योंकि कोई आपस में
रूठा है इस कदर?
क्यों लड़ते हो इस कदर ?
क्यों झगड़ते हो इस कदर ?
न हल्ला कहीं, न शोर मचा हो
कैटीन में छाई खामोशी,
सबको कचोती है
न जाने किस कदर ?
समाने पड़ी पांच कुर्सीयां
भी खाली हैं इस कदर,
जैसे वर्षों से उन पर बैठा
न हो कोई इस कदर...
क्यों लड़ते हो इस कदर ?
क्यों झगड़ते हो इस कदर ?
बाहों में हाथ ड़ाले,
पहले घूमते थे इस कदर?
आज ऐसा क्या हुआ देखते,
ही मोड़ लेते हो मुंह किस कदर?
क्यों लड़ते हो इस कदर ?
क्यों झगड़ते हो इस कदर ?
रास्ते में खड़े पेड़ और फूल,
को मैने सुना है इस कदर...
वो कहते है अच्छा हुआ की,
हम इंसान नहीं है इस कदर?
क्यों लड़ते हो इस कदर ?
क्यों झगड़ते हो इस कदर ?
एक ही क्लास में
पच्चीस कुर्सीया हैं हम।
फिर भी बिखरी
हुई है अलग-अलग क्यों
इस कदर?
क्यों लड़ते हो इस कदर ?
क्यों झगड़ते हो इस कदर ?
फिर से क्यों नहीं ड़ालते
हो हाथों में हाथ।
क्यों नहीं मिलते हो फिर
तुम गले सारे गिले शिक्वे
भूल कर,
उस कदर... कि तुमहारे प्यार
के आगे सब नक् मस्तक हो जाएं
की झगड़े और फसाद,
मन के मैल यूं ही धुल जाएं
मनो कहीं दूर चले गए हो ,
इस नफरत की घुटन से
इस कदर,
कि जैसे चिराग से दूर अंधेरा,
ज्ञान के मिलने से अज्ञान,
रोटी के मिलने से भूख ...
थोड़ा तो बनों इसकदर.
क्यों लड़ते हो इस कदर ?
क्यों झगड़ते हो इस कदर ?
थोड़ा तुम बदलों,
थोड़ा हम बदल जाएँ
एक माला में फ़िर से पिर जाएँ ,
कोई सांचा बन जाए ,
किसी आकृति में ढल जाएँ
कुछ तुम करो , कुछ हम करे
इस कदर ।
क्यों लड़ते हो इस कदर ?
क्यों झगड़ते हो इस कदर ?
थोड़ा बदले तो बहुत बदले।
अपने आप को इस कदर.....
कि न हम लड़ें पाएं और
न तुम झगड़ पाओ,
इस पाने में एक दूसरे
को पा जाएँ .
क्यों झगड़ते हो इस कदर ?
दिल में प्यार भी बहुत है
फिर क्यों नफरत करते
हो इस कदर?
छोटी-छोटी बातें ही तो हैं
फिर क्यों नाराज, होते हो
इस कदर?
चाय के प्याले को ,
तुमहारा इंतजार है
शायद वो उदास है,
क्योंकि कोई आपस में
रूठा है इस कदर?
क्यों लड़ते हो इस कदर ?
क्यों झगड़ते हो इस कदर ?
न हल्ला कहीं, न शोर मचा हो
कैटीन में छाई खामोशी,
सबको कचोती है
न जाने किस कदर ?
समाने पड़ी पांच कुर्सीयां
भी खाली हैं इस कदर,
जैसे वर्षों से उन पर बैठा
न हो कोई इस कदर...
क्यों लड़ते हो इस कदर ?
क्यों झगड़ते हो इस कदर ?
बाहों में हाथ ड़ाले,
पहले घूमते थे इस कदर?
आज ऐसा क्या हुआ देखते,
ही मोड़ लेते हो मुंह किस कदर?
क्यों लड़ते हो इस कदर ?
क्यों झगड़ते हो इस कदर ?
रास्ते में खड़े पेड़ और फूल,
को मैने सुना है इस कदर...
वो कहते है अच्छा हुआ की,
हम इंसान नहीं है इस कदर?
क्यों लड़ते हो इस कदर ?
क्यों झगड़ते हो इस कदर ?
एक ही क्लास में
पच्चीस कुर्सीया हैं हम।
फिर भी बिखरी
हुई है अलग-अलग क्यों
इस कदर?
क्यों लड़ते हो इस कदर ?
क्यों झगड़ते हो इस कदर ?
फिर से क्यों नहीं ड़ालते
हो हाथों में हाथ।
क्यों नहीं मिलते हो फिर
तुम गले सारे गिले शिक्वे
भूल कर,
उस कदर... कि तुमहारे प्यार
के आगे सब नक् मस्तक हो जाएं
की झगड़े और फसाद,
मन के मैल यूं ही धुल जाएं
मनो कहीं दूर चले गए हो ,
इस नफरत की घुटन से
इस कदर,
कि जैसे चिराग से दूर अंधेरा,
ज्ञान के मिलने से अज्ञान,
रोटी के मिलने से भूख ...
थोड़ा तो बनों इसकदर.
क्यों लड़ते हो इस कदर ?
क्यों झगड़ते हो इस कदर ?
थोड़ा तुम बदलों,
थोड़ा हम बदल जाएँ
एक माला में फ़िर से पिर जाएँ ,
कोई सांचा बन जाए ,
किसी आकृति में ढल जाएँ
कुछ तुम करो , कुछ हम करे
इस कदर ।
क्यों लड़ते हो इस कदर ?
क्यों झगड़ते हो इस कदर ?
थोड़ा बदले तो बहुत बदले।
अपने आप को इस कदर.....
कि न हम लड़ें पाएं और
न तुम झगड़ पाओ,
इस पाने में एक दूसरे
को पा जाएँ .
क्यों लड़ते हो इस कदर ?
क्यों झगड़ते हो इस कदर ?
बढिया प्रस्तुति... शुभागमन...!
ReplyDeleteहिन्दी ब्लाग जगत में आपका स्वागत है, कामना है कि आप इस क्षेत्र में सर्वोच्च बुलन्दियों तक पहुंचें । आप हिन्दी के दूसरे ब्लाग्स भी देखें और अच्छा लगने पर उन्हें फालो भी करें । आप जितने अधिक ब्लाग्स को फालो करेंगे आपके अपने ब्लाग्स पर भी फालोअर्स की संख्या बढती जा सकेगी । प्राथमिक तौर पर मैं आपको मेरे ब्लाग 'नजरिया' की लिंक नीचे दे रहा हूँ आप इसके दि. 18-2-2011 को प्रकाशित आलेख "नये ब्लाग लेखकों के लिये उपयोगी सुझाव" का अवलोकन करें और इसे फालो भी करें । आपको निश्चित रुप से अच्छे परिणाम मिलेंगे । शुभकामनाओं सहित...
http://najariya.blogspot.com
In order to maintain a relation,it is sumtyms important to fight!! :)
ReplyDeleteअच्छे भाव....
ReplyDeleteइस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDelete" भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" की तरफ से आप को तथा आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामना. यहाँ भी आयें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो फालोवर अवश्य बने .साथ ही अपने सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ . हमारा पता है ... www.upkhabar.in
ReplyDeleteसुनील जी!
ReplyDeleteआप न केवल एक अच्छे कवि हैं,
बल्कि एक संवेदनशील इन्सान भी हैं,
आप का सभी पोस्ट देखा,
बेहतर लगा, नियमित लिखते रहिये.
शुभकामनाएं...!