Wednesday, April 6, 2011

उनको प्रणाम !

जो नहीं हो सके पूर्ण-काम
मैं उनको करता हूं प्रणाम!

कुछ कुंठित और कुछ लक्ष्य-भ्रष्ट
जिनके अभिमंत्रित तीर हुए,
रण की समाप्ति के पहले ही
जो वीर रिक्त तूणीर हुए!
-उनको प्रणाम

उस उच्च शिखर की ओर बढ़े
रह-रह नव-नव उत्साह भरे,
पर कुछ ने ले ली हिम-समाधि
कुछ असफल ही नीचे उतरे!
-उनको प्रणाम

एकाकी और अकिंचन से
जो भू-परिक्रमा को निकलेः,
हो गए पंगु, प्रति-पद जिनके
इतने अदृष्ट के दांव चले!
-उनको प्रणाम!

कृत्कृत्य नहीं जो हो पाएः,
प्रत्युत फांसी पर गए झूल,
कुछ ही दिन बीते हैं, फिर भी
यह दुनिया जिनको गई भूल!
-उनको प्रणाम!

थी उग्र साधना, पर जिनका
जीवन नाटक दुःखांत हुआ,
था जन्म-काल में सिंह लग्न
पर कुसमय में देहांत हुआ!
-उनको प्रणाम!

दृढ व्रत और दुर्दम साहस के
जो उदाहरण थे मूर्तिमंत,
पर निरवधि बंदी जीवन ने
जिनकी धुन का कर दिया अंत!
-उनको प्रणाम!

जिनकी सेवाएँ अतुलनीय
पर विज्ञान से रहें दूर,
प्रतिकूल परिस्थिति ने जिनके
कर दिए मनोरथ चूर-चूर!
-उनको प्रणाम

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