प्यार आखिर होता ही क्यों है।
कहते है की जीवन में एक बार
सबको होता है और शायद ही कम
ही लोग इस पहले प्यार को
पाने में सक्षम हो पाते हैं।
ज्ञानी को ज्ञान के सभी शब्दाकोशों
से अंजान करवा देना ही शायदप्रेम है।
प्रेम की शुरूआत एक सुकून
का एहसास लाती है
एक नये प्रकाश और नई उमंग को
दिलों दिमाग तक पहुंचा देती है।
बन्धनों में बंधने के लिए इंसान मजबूर
हो जाता है नाता न खून का होता है,
और न ही दूसरे संबंध का।
यह बंधन भी मानों इतना मजबूत होता है,
कि उसके टूटने की सोच से भी आत्मा खिन्न
हो जाती है मन उदास और परिसर स्थूल पड़
जाता है।
न जाने कहां से कोई अजनबी आता है
और दिलों दिमाग पर छा जाता है।
उसकी हर गलति उसके सारे गिले शिकवे
उसकी हर, एक मुस्कराहट से खत्म हो जाए।
उसके मिलते ही मानों गुस्सा कही दूर की
यात्रा पर निकल जाता हो। सारी नाराजगियां,
परेशनियां प्रेम के समुंद्र में कहीं गोते लगाती
नजर आती हैं।
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5 years ago
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