Saturday, February 26, 2011

औकात में रहकर करो औकात की बातें।

मत कर यहाँ बिगड़े हुए हालात की बातें,
लाशों
को क्या समझाएगा जज्बात की बातें

राई पहाड़ बनती है , बनता है तिल का ताड़,
ऐसी जगह बेकार हैं , उस बात की बातें

कहते हैं दिल की छत पे ये यादों के कबूतर ,
मिला, जुदा होना है करामात की बातें

खुद कह के दिल की बात परेशान हो गया,

मय्यत पे जैसे कह दी हों बारात की बातें

यह प्यार की नगरी बनी व्यापार की नगरी,

औकात में रहकर करो औकात की बातें

2 comments:

  1. Sunil,its very expressive..
    I liked it :)

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  2. बहुत खूब और बहुत सुंदर

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